भारत-पाकिस्तान के बीच दशकों से चला आ रहा सिंधु जल समझौता अब एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार वजह है पाकिस्तान की संसद से लेकर उसकी सेना तक की बौखलाहट, जो भारत के ‘वाटर बम’ से हिली हुई है. दरअसल, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को लेकर सख्त रुख अपना लिया है. अब पाकिस्तान में यह मुद्दा संसद से लेकर सेना के प्रवक्ताओं तक के बयानों में जलजला ला रहा है.
पाकिस्तानी सांसद सैयद अली जफर ने संसद में स्वीकार किया कि अगर हम पानी का मुद्दा सुलझा नहीं पाए, तो भूखे मर जाएंगे… सिंधु बेसिन ही हमारी लाइफलाइन है. 90 प्रतिशत खेती इस पानी पर निर्भर है. हमारे ऊपर वाटर बम बना पड़ा है, जिसे डिफ्यूज करना है.
भारत के ‘वॉटर बम’ से हिला पाकिस्तान
पानी की कमी से बिलबिलाता पाकिस्तान अब भारत के सामने गिड़गिड़ा रहा है. सांसद सैयद शिबली फराज़ कहते हैं, कि पानी के मुद्दे को जितना भी सीरियस ले सकते हैं, लेना चाहिए. दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना का भी सुर बदल गया है. प्रवक्ता अहमद शरीफ चौधरी ने धमकी दी कि तुम हमारा पानी बंद करोगे… हम तुम्हारी सांसें रोक देंगे.
पाकिस्तानी सांसद अली जफर मानते हैं कि वर्ल्ड बैंक के पूर्व प्रमुख के शब्दों में कि 20वीं सदी की जंग तेल पर थीं, 21वीं सदी की जंग पानी पर होगी और पाकिस्तान इस समय दुनिया के टॉप वॉटर स्कार्सिटी देशों में शामिल है.
1960 में हुए इस समझौते के तहत, भारत को रावी, ब्यास और सतलुज दी गई थीं, जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब पाकिस्तान को लेकिन क्योंकि ये नदियां भारत से होकर बहती हैं, भारत के पास इन पर नियंत्रण भी है.
अब जब भारत ने कड़ा संदेश दे दिया है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते तो पाकिस्तान की जमीन पर पैदा होने वाले आतंकियों के लिए समर्थन बंद किए बिना उसे सिंधु जल का फायदा नहीं मिलेगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल का स्पष्ट कहना है कि जब तक इस्लामाबाद आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाता, सिंधु जल संधि स्थगित ही रहेगी.
नीचे देखें इस पर पूरी रिपोर्ट.
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